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‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: क्रियान्वयन, चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला रविवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित की गई।

राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः म.प्र. में क्रियान्वयन से सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आधारः मुख्यमंत्री

‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: क्रियान्वयन, चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला रविवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित की गई।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल के मुख्य आतिथ्य और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई इस कार्यशाला में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेद्र प्रधान सहित प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार और स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने बताया की प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों को 'कुलगुरु संबोधन देकर प्राचीन गुरुकुल आदर्श को आधुनिक व्यवस्था से जोड़ा गया है। डॉ. यादव ने गुरु शिष्य परंपरा के महत्व पर जोर देते हुए महर्षि विश्वामित्र द्वारा प्रभु श्रीराम की दक्षता निखारने और आचार्य सांदीपनि के भगवान श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व विकास में योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने राजा भोज और सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन में विद्वानों के सहयोग को भी याद किया। सांदीपनि स्कूल और PM एक्सीलेंस कॉलेजः उन्होंने बताया कि राज्य शासन ने युवाओं के लिए 21वीं सदी के कौशल और डिजिटल युग की दक्षता सुनिश्चित करने हेतु प्रदेश में 370 सांदीपनि स्कूल स्थापित किए हैं। साथ ही, प्रत्येक जिले में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज का संचालन आरंभकिया गया है।
मध्यप्रदेश बना NEP क्रियान्वयन में अग्रणीः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस नीति को केवल शैक्षणिक सुधार न मानकर, इसे राज्य के कौशल, नवाचार और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आधार बनाया गया है।

बच्चों को अंजीर काजू खिलाओ...

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मध्य प्रदेश में 50 लाख बच्चों ने पांचवीं क्लास तक सेब देखे ही होंगे। उन्हें इसे खाने का सौभाग्य नहीं मिला है। अंजीर तो उनकी जिंदगी में 10वीं के बाद शायद ही आया हो। कई बच्चों को जब एक गिलास दूध चाहिए, तब नहीं मिलता है। इसको करेगा कौन? यह समाज को सोचने की जरूरत है। प्रधान ने कार्यक्रम में मौजूद भोपाल के विधायक रामेश्वर शर्मा की तरफ देखते हुए कहा कि वह बड़े-बड़े भंडारे करते हैं। मेरा निवेदन है हफ्ते में एक बार स्कूली बच्चों को अंजीर, काजू और एक बेसन का लड्डू मिल जाए, शायद उसके न्यूट्रिशनल इंपैक्ट से कोई अब्दुल कलाम निकल सकता है। एक गुलदस्ता मप्र 500 रुपये का आता है। इतने पैसों में दो किलो सेब आ जाएंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः म.प्र. में क्रियान्वयन से सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आधारः मुख्यमंत्री

'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: क्रियान्वयन, चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला रविवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित की गई।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल के मुख्य आतिथ्य और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई इस कार्यशाला में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेद्र प्रधान सहित प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार और स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने बताया की प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों को 'कुलगुरु संबोधन देकर प्राचीन गुरुकुल आदर्श को आधुनिक व्यवस्था से जोड़ा गया है।

डॉ. यादव ने गुरु शिष्य परंपरा के महत्व पर जोर देते हुए महर्षि विश्वामित्र द्वारा प्रभु श्रीराम की दक्षता निखारने और आचार्य सांदीपनि के भगवान श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व विकास में योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने राजा भोज और सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन में विद्वानों के सहयोग को भी याद किया।

सांदीपनि स्कूल और PM एक्सीलेंस कॉलेजः उन्होंने बताया कि राज्य शासन ने युवाओं के लिए 21वीं सदी के कौशल और डिजिटल युग की दक्षता सुनिश्चित करने हेतु प्रदेश में 370 सांदीपनि स्कूल स्थापित किए हैं। साथ ही, प्रत्येक जिले में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज का संचालन आरंभकिया गया है।
मध्यप्रदेश बना NEP क्रियान्वयन में अग्रणीः मुख्यमंत्री
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